लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ
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बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गए
शब वही लेकिन सितारा और है
यूँ देखना उस को कि कोई और न देखे
गवाही कैसे टूटती मुआ'मला ख़ुदा का था
सुंदर कोमल सपनों की बारात गुज़र गई जानाँ
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर
मसअला जब भी चराग़ों का उठा
कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े
मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं
ख़याल-ओ-ख़्वाब हुआ बर्ग-ओ-बार का मौसम
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की