कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
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यही वो दिन थे जब इक दूसरे को पाया था
तेरे पैमाने में गर्दिश नहीं बाक़ी साक़ी
शब वही लेकिन सितारा और है
वो हम नहीं जिन्हें सहना ये जब्र आ जाता
बात वो आधी रात की रात वो पूरे चाँद की
बिछड़ा है जो इक बार तो मिलते नहीं देखा
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
तुझे मनाऊँ कि अपनी अना की बात सुनूँ
गुलाबी पाँव मिरे चम्पई बनाने को
ख़्वाब
जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई