किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल
बहाने से मुझे भी टालता है
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क़दमों में भी तकान थी घर भी क़रीब था
मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिर
इसी में ख़ुश हूँ मिरा दुख कोई तो सहता है
बजा कि आँख में नींदों के सिलसिले भी नहीं
दुआ का टूटा हुआ हर्फ़ सर्द आह में है
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
वक़्त-ए-रुख़्सत आ गया दिल फिर भी घबराया नहीं
क्या करे मेरी मसीहाई भी करने वाला
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
धनक धनक मिरी पोरों के ख़्वाब कर देगा
मुझे मत बताना
ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा