कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े
तेरा मे'यार बदलता है निसाबों की तरह
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
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गुलाब हाथ में हो आँख में सितारा हो
ज़िंदगी बे-साएबाँ बे-घर कहीं ऐसी न थी
जला दिया शजर-ए-जाँ कि सब्ज़-बख़्त न था
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
वक़्त-ए-रुख़्सत आ गया दिल फिर भी घबराया नहीं
तेरे पैमाने में गर्दिश नहीं बाक़ी साक़ी
इतने घने बादल के पीछे
डसने लगे हैं ख़्वाब मगर किस से बोलिए
यही वो दिन थे जब इक दूसरे को पाया था
अपनी तन्हाई मिरे नाम पे आबाद करे
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना