कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
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मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
ख़ुद अपने से मिलने का तो यारा न था मुझ में
राय पहले से बना ली तू ने
जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा
जुदाई की पहली रात
अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ
पूरा दुख और आधा चाँद
वो हम नहीं जिन्हें सहना ये जब्र आ जाता
ख़्वाब
मक़्तल-ए-वक़्त में ख़ामोश गवाही की तरह