एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(999) Peoples Rate This
जुदाई की पहली रात
रस्ते में मिल गया तो शरीक-ए-सफ़र न जान
ज़ुल्म सहना भी तो ज़ालिम की हिमायत ठहरा
खुली आँखों में सपना झाँकता है
बहुत रोया वो हम को याद कर के
तेरे तोहफ़े तो सब अच्छे हैं मगर मौज-ए-बहार
निक-नेम
काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में
लेकिन बड़ी देर हो चुकी थी
फ़बेअय्ये आलाए रब्बिकमा तुकज़्ज़िबान
अपनी तन्हाई मिरे नाम पे आबाद करे
कुछ ख़बर लाई तो है बाद-ए-बहारी उस की