बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए
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कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है
ख़्वाब
रफ़ाक़तों के नए ख़्वाब ख़ुशनुमा हैं मगर
ये क्या कि वो जब चाहे मुझे छीन ले मुझ से
गए मौसम में जो खिलते थे गुलाबों की तरह
लेकिन बड़ी देर हो चुकी थी
क्या करे मेरी मसीहाई भी करने वाला
क़र्या-ए-जाँ में कोई फूल खिलाने आए
कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें
पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन
सिर्फ़ एक लड़की
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया