बंद कर के मिरी आँखें वो शरारत से हँसे
बूझे जाने का मैं हर रोज़ तमाशा देखूँ
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Anwar Masood
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(557) Peoples Rate This
अोथेलो
दरवाज़ा जो खोला तो नज़र आए खड़े वो
मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं
अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाने कब तक तिरी तस्वीर निगाहों में रही
पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
रुकी हुई है अभी तक बहार आँखों में
तेरी ख़ुश्बू का पता करती है
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की