अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
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क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र बड़े काम की थी
बंद कर के मिरी आँखें वो शरारत से हँसे
बारहा तेरा इंतिज़ार किया
हारने में इक अना की बात थी
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
बिछड़ा है जो इक बार तो मिलते नहीं देखा
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
नए साल की पहली नज़्म
नहीं नहीं ये ख़बर दुश्मनों ने दी होगी
सिर्फ़ एक लड़की
सिर्फ़ इस तकब्बुर में उस ने मुझ को जीता था
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा