तुम्हारा कहना है
तुम मुझे बे-पनाह शिद्दत से चाहते हो
तुम्हारी चाहत
विसाल की आख़िरी हदों तक
मिरे फ़क़त मेरे नाम होगी
मुझे यक़ीं है मुझे यक़ीं है
मगर क़सम खाने वाले लड़के!
तुम्हारी आँखों में एक तिल है!
Mir Taqi Mir
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अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
सिर्फ़ एक लड़की
रात के शायद एक बजे हैं
क्या करे मेरी मसीहाई भी करने वाला
पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन
कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है
चाँद रात
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मेरी चादर तो छिनी थी शाम की तन्हाई में