सावन में घबरा जाता है
सावन में घबरा जाता है
दिल मेरा सहरा जाता है
अलिफ़ समझ में आ जावे तो
सब कुछ पढ़ना आ जाता है
बर्फ़ का इक इक आँसू पी कर
दरिया वज्द में आ जाता है
असल सफ़र है वहाँ से आगे
जहाँ तलक रस्ता जाता है
लड़की मेले में तन्हा थी
सोच के दिल बैठा जाता है
जब मैं जंगल हो जाता हूँ
मोर नाचने आ जाता है
शायद उस ने दस्तक सुन ली
देखो दर खुलता जाता है
नींद के बीन बजाते ही 'अश्क'
बिस्तर में साँप आ जाता है
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