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समुंदर में खड़े हो रो रहे हो - परवीन कुमार अश्क कविता - Darsaal

समुंदर में खड़े हो रो रहे हो

समुंदर में खड़े हो रो रहे हो

ये कैसी मैली चादर धो रहे हो

ये दुनिया मसअला अल्लाह का है

ये मिट्टी सर पे तुम क्यूँ ढो रहे हो

हमारे आँसुओं के जुगनुओं से

सितारो क्यूँ परेशाँ हो रहे हो

समुंदर को दिखा कर आग अब क्यूँ

दुआ की बारिशों को रो रहे हो

जहाँ पुरखों के सज्दों के निशाँ हैं

वो गलियाँ ख़ून से क्यूँ धो रहे हो

सुना होगा हमारा हादसा भी

हमारे शहर में तुम तो रहे हो

नहीं गर जान-ए-जाँ तो दुश्मन-ए-जाँ

हमारी जान के कुछ तो रहे हो

तुम्हें तो ख़ूब हँसना चाहिए 'अश्क'

हमारे हाल पर तुम रो रहे हो

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In Hindi By Famous Poet Parveen Kumar Ashk. is written by Parveen Kumar Ashk. Complete Poem in Hindi by Parveen Kumar Ashk. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.