Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e1fb6c659b47b08173788835c4d9079d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपने मरकज़ पे न पूरा हुआ चक्कर मेरा - परतव रोहिला कविता - Darsaal

अपने मरकज़ पे न पूरा हुआ चक्कर मेरा

अपने मरकज़ पे न पूरा हुआ चक्कर मेरा

अजनबी हाथ बदलते रहे मेहवर मेरा

मेरे क़ालिब की शनासा नहीं हैअत मेरी

अपने साए से भी बेज़ार है पैकर मेरा

मेरे सीने पे तो दुश्मन का कोई ज़ख़्म नहीं

मेरे पहलू में जो उतरा है तो ख़ंजर मेरा

मैं तो अब तक नहीं सीखा हूँ ज़मीं पर चलना

और ख़लाओं में है छाया हुआ शहपर मेरा

किस को बख़्शा है ख़ुदाया मिरी क़िस्मत लिखना

किस के हाथों में दिया तू ने मुक़द्दर मेरा

मैं वो सुल्ताँ हूँ कि घटती है रियासत जितनी

उतना उतना ही बढ़ा करता है लश्कर मेरा

बंद-ए-ग़म टूटने वाला है किसी दम 'परतव'

ऐसा लगता है छलकने को है साग़र मेरा

(455) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Partav Rohila. is written by Partav Rohila. Complete Poem in Hindi by Partav Rohila. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.