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इधर मय-कदा है उधर बुत-कदा है - पंकज सरहदी कविता - Darsaal

इधर मय-कदा है उधर बुत-कदा है

इधर मय-कदा है उधर बुत-कदा है

इधर मेरा साक़ी उधर दिलरुबा है

इधर है मिरी तिश्नगी का मुदावा

उधर मेरे दर्द-ए-जिगर की दवा है

इधर जोश-ए-सहबा उधर जोश-ए-उल्फ़त

इधर इब्तिदा है उधर इंतिहा है

इधर दुख़्तर-ए-रज़ की है काफ़िर जवानी

उधर हुस्न-ए-महबूब-ए-सिद्क़-ओ-सफ़ा है

इधर मय पिला कर गिराने का शेवा

उधर थाम लेने को दस्त-ए-वफ़ा है

इधर जाऊँ या मैं उधर जाऊँ 'पंकज'

इधर भी ख़ुदा है उधर भी ख़ुदा है

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In Hindi By Famous Poet Pankaj Sarhadi. is written by Pankaj Sarhadi. Complete Poem in Hindi by Pankaj Sarhadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.