Coupletss of Pandit Jawahar Nath Saqi
नाम | पंडित जवाहर नाथ साक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Pandit Jawahar Nath Saqi |
ये ज़मज़मा तुयूर-ए-ख़ुश-आहंग का नहीं
ये रूपोशी नहीं है सूरत-ए-मर्दुम-शनासी है
ये रिसाला इश्क़ का है अदक़ तिरे ग़ौर करने का है सबक़
वुसअ'त-ए-मशरब-ए-रिंदाँ का नहीं है महरम
वो माह जल्वा दिखा कर हमें हुआ रू-पोश
उश्शाक़ जो तसव्वुर-ए-बर्ज़ख़ के हो गए
सिक्का अपना नहीं जमता है तुम्हारे दिल पर
सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब
क़ालिब को अपने छोड़ के मक़लूब हो गए
निगह-ए-नाज़ से इस चुस्त क़बा ने देखा
नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जाए कुछ मदद
नहीं खुलता सबब तबस्सुम का
नफ़्स-ए-मतलब ही मिरा फ़ौत हुआ जाता है
मेरी क़िस्मत की कजी का अक्स है
महव-ए-लिक़ा जो हैं मलकूती-ख़िसाल हैं
किया है चश्म-ए-मुरव्वत ने आज माइल-ए-मेहर
जज़्बा-ए-इश्क़ चाहिए सूफ़ी
जम गए राह में हम नक़्श-ए-क़दम की सूरत
जान-ओ-दिल था नज़्र तेरी कर चुका
हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दिया
हुआ न क़ुर्ब-ए-तअ'ल्लुक़ का इख़तिसास यहाँ
फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
दिल भी अब पहलू-तही करने लगा
छू ले सबा जो आ के मिरे गुल-बदन के पाँव
बुराई भलाई की सूरत हुई
अपने जुनूँ-कदे से निकलता ही अब नहीं