ये किस की जुस्तुजू है और मैं हूँ
ये किस की जुस्तुजू है और मैं हूँ
मक़ाम-ए-दश्त-ए-हू है और मैं हूँ
चमन में देखता फिरता हूँ किस को
फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू है और मैं हूँ
ब-रोज़-ए-हश्र ताज़ा गुल खिलेगा
वो दामन का लहू है और मैं हूँ
कभी दीवाना था पर अब हूँ हुशियार
गरेबाँ का रफ़ू है और मैं हूँ
हिमाक़त हज़रत-ए-वाइज़ की देखो
तक़ाज़ा-ए-वुज़ू है और मैं हूँ
न पूछो दिल में क्या क्या हसरतें हैं
तुम्हारी आरज़ू है और मैं हूँ
भला हो तिश्ना-कामी और तेरा
मय-ओ-जाम-ओ-सुबू है और मैं हूँ
रहूँगा कह के दिल का माजरा सब
अरे महशर में तो है और मैं हूँ
वो कहते हैं कहो ऐ 'शौक़' क्या है
अरे ख़ल्वत है तू है और मैं हूँ
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