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क़ुर्स-ए-ख़ुर को देख कर तस्कीं रख ऐ मेहमान-ए-सुब्ह - पंडित दया शंकर नसीम लखनवी कविता - Darsaal

क़ुर्स-ए-ख़ुर को देख कर तस्कीं रख ऐ मेहमान-ए-सुब्ह

क़ुर्स-ए-ख़ुर को देख कर तस्कीं रख ऐ मेहमान-ए-सुब्ह

ता-दहान-ए-शाम पहुँचाता है राज़िक़ नान-ए-सुब्ह

मअ'नी-ए-रौशन जो हों तो सौ से बेहतर एक शेर

मतला-ए-ख़ुर्शीद काफ़ी है पए-दीवान-ए-सुब्ह

सैर-चश्मी दीद के भूखों की देखो कहती है

मह पनीर-ए-शाम है ख़ुर्शीद-ए-ताबाँ नान-ए-सुब्ह

सदक़े उस पर्वरदिगार-ए-पाक के जिस ने किया

बहर-ए-तिफ़्ल-ए-ग़ुंचा पैदा शीर-ए-बे-पिस्तान-ए-सुब्ह

सुब्ह-दम ग़ाएब हुए 'अंजुम' तो साबित हो गया

ख़ंदा-ए-बेहूदा पर तोड़े गए दंदान-ए-सुब्ह

वस्ल की शब आँख दिखला कर ये अंजुम कहते हैं

लो क़यामत आई मशरिक़ से उठा तूफ़ान-ए-सुब्ह

देखे वो गुलशन जो दिन-दो-दिन रहे याँ मिस्ल-ए-गुल

हम तो शबनम-साँ 'नसीम' एक दम के हैं मेहमान-ए-सुब्ह

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In Hindi By Famous Poet Pandit Daya Shankar Naseem Lakhnavi. is written by Pandit Daya Shankar Naseem Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Pandit Daya Shankar Naseem Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.