Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2bae662ad56b50b855b2f0cc50a37c10, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क्राइसिस - पैग़ाम आफ़ाक़ी कविता - Darsaal

क्राइसिस

नद्दियाँ मेरे क़दमों के नीचे से बहती चली जा रही हैं

पहाड़ मेरे घुटनों

और दरख़्त मेरे रोंगटों पर रश्क कर रहे हैं

फैली हुई ज़मीन पर मैं कितना ऊँचा हो गया हूँ

चाँद मेरे माथे पर है

और सूरज हाथों का खिलौना है

ख़ुदा मेरी खोपड़ी के अंदर चमगादड़ की तरह फड़फड़ा रहा है

समुंदर मेरा पाँव चूम रहे हैं

और तहज़ीबें तेज़-ओ-तुंद हवाओं की तरह सनसनाहट पैदा कर रही हैं

कि मैं ज़मीन को हाथ में ले कर इस तरह उछाल सकता हूँ

जैसे बच्चे गेंद उछाला करते हैं

हज़ारों बरस से मैं ने यही ख़्वाब देखा था कि मैं ख़ुदा हो जाता

अब मुझे ख़ुदा रहना भी गवारा नहीं

लोगों ने मेरे क़दमों पे सर रख दिए हैं

लेकिन मेरा सर जो अब एक बड़ा सा बोझ बन गया है

इसे मैं कहाँ रक्खूँ

जन्नत मेरे दाहने हाथ में है

और दोज़ख़ बाएँ हाथ में

और सर पर नूर का ताज है

फ़रिश्ते मेरे चारों तरफ़ हैं

लेकिन अब मैं क्या करूँ

मुझे तो डर लगता है कि

अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ

(403) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Paigham Aafaqi. is written by Paigham Aafaqi. Complete Poem in Hindi by Paigham Aafaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.