Ghazals of P P Srivastava Rind
नाम | पी पी श्रीवास्तव रिंद |
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अंग्रेज़ी नाम | P P Srivastava Rind |
जन्म की तारीख | 1950 |
जन्म स्थान | Noida |
उफ़ुक़ पे दूधिया साया जो पाँव धरने लगा
साज़िशों की भीड़ में तारीकियाँ सर पर उठाए
रौशनी भर ख़ला पे बार थे हम
रात के गुम्बद में यादों का बसेरा हो गया है
पेश-ए-मंज़र जो तमाशे थे पस-ए-मंज़र भी थे
नीम के पत्तों का ज़ख़्मों को धुआँ दे दीजिए
नशात-ए-दर्द के मौसम में गर नमी कम है
माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कम
ममता-भरी निगाह ने रोका तो डर लगा
हम दश्त-ए-बे-कराँ की अज़ाँ हो गए तो क्या
फ़िक्र कम बयान कम
फ़ज़ा में कर्ब का एहसास घोलती हुई रात
एहसास-ए-बे-तलब का ही इल्ज़ाम दो हमें
बे-तअल्लुक़ रूह का जब जिस्म से रिश्ता हुआ
अंधेरे ढूँडने निकले खंडर क्यूँ
अंधेरे बंद कमरों में पड़े थे
ऐसे भी कुछ लम्हे यारो आएँगे