Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_24e1c873214b189b5b4097537114b0d3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मेट्रो शहर की एक आम लड़की - उज़ैर रहमान कविता - Darsaal

मेट्रो शहर की एक आम लड़की

कान पक जाते हैं दुनिया की शिकायत सुन कर

किस ने जाना है तुम्हें किस का यक़ीं कर लूँ मैं

वो जो कहते हैं के तुम आम सी लड़की हो जिसे

फ़िक्र अपनी है किसी और से मतलब ही नहीं

अपनी रोज़ाना की रूटीन में में जकड़ी जकड़ी

वो ही मेट्रो की सवारी वो ही आपा-धापी

तिल न धरने की जगह फिर भी पहुँचना है जिसे

अपनी हर चीज़ सँभाले हुए रहना है जिसे

कौन आया है पस-ओ-पेश समझने के लिए

कौन आएगा ये तस्वीर बदलने के लिए

कितना आसान है इल्ज़ामों से छलनी करना

कितना आसान है दो बातों से ज़ख़्मी करना

ऐसे हालात से लड़ कर जिसे कुछ बनना है

पूरे करने हैं कई ख़्वाब तमन्ना है कुछ

उस के पैरों की ये ज़ंजीर हटानी होगी

नस्ल-ए-हव्वा की ये तस्वीर मिटानी होगी

तुम से रौशन है हर इक घर मगर ऐसा क्यूँ है

तुम तड़पती हो तो ये जग मिरा हँसता क्यूँ है

बैरी दुनिया ने तुम्हें ठीक से परखा ही नहीं

मेरी आँखों से किसी ने तुम्हें देखा ही नहीं

(428) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Ozair Rahman. is written by Ozair Rahman. Complete Poem in Hindi by Ozair Rahman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.