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पलकों पे सज रहे हैं जो मोती न रोलिए - ओवैस उल हसन खान कविता - Darsaal

पलकों पे सज रहे हैं जो मोती न रोलिए

पलकों पे सज रहे हैं जो मोती न रोलिए

जौहर हैं ग़म के ग़म के तराज़ू में तोलिए

शाम-ए-ग़म-ए-फ़िराक़ के पहलू में बैठ कर

आई किसी की याद तो चुपके से रो लिए

मूंदी गईं जो आँखें तो आए वो देखने

आ कर भी कह न पाए कि आँखें तो खोलिए

देखा जो क़द्र ग़म की नहीं है जहान में

ले कर वो बीज दिल में मोहब्बत से बो लिए

जागे हुए थे हम जो तमन्ना के बाब में

सुब्ह-ए-मुराद पा के अचानक ही सो लिए

लिक्खा हुआ था कल भी वफ़ा के मज़ार पर

आए हो दर पे दिल के तो हौले से खोलिए

देखा जो दिल को चुप तो वफ़ाओं ने ये कहा

इतनी तवील शब है अरे कुछ तो बोलिए

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In Hindi By Famous Poet Owaisul Hassan Khan. is written by Owaisul Hassan Khan. Complete Poem in Hindi by Owaisul Hassan Khan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.