ख़ुद से मिलने की जुस्तुजू तुम हो

ख़ुद से मिलने की जुस्तुजू तुम हो

जिस पे मरता हूँ ख़ूब-रू तुम हो

नाज़ करता हूँ आज मैं दिल पर

दिल है मेरा तो आरज़ू तुम हो

हर घड़ी ख़ुद को भूल जाता हूँ

हर घड़ी मेरे रू-ब-रू तुम हो

जान-ए-मुज़्तर की बे-क़रारी में

जब भी देखा है चार-सू तुम हो

ख़ामुशी भी कलाम करती है

गूँगे सपनों की गुफ़्तुगू तुम हो

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In Hindi By Famous Poet Owaisul Hassan Khan. is written by Owaisul Hassan Khan. Complete Poem in Hindi by Owaisul Hassan Khan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.