Ghazals of Owaisul Hassan Khan
नाम | ओवैस उल हसन खान |
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अंग्रेज़ी नाम | Owaisul Hassan Khan |
ये किस अदा से चमन से बहार गुज़री है
क़ैस-ए-सहरा-नशीं से ले आओ
पलकों पे सज रहे हैं जो मोती न रोलिए
नक़्श जब भी तिरा उभारा है
ख़ुद से मिलने की जुस्तुजू तुम हो
हिज्र का दिन है ये गुज़रने दे
दूर सहरा की कड़ी धूप में छाँव जैसा
दिल ने चाहा था जिसे अपने सहारे की तरह
आज मेरी पलकों पर क़ुदसियों का मेला है