इडेन गार्डेन
ये इडेन गार्डेन हमदम निगाह-ओ-दिल की जन्नत है
यहाँ हव्वा की रंगीं बेटियाँ हर शाम आती हैं
जवाँ मर्दों को अपनी जाज़बिय्यत से लुभाती हैं
दिलों को शर्मगीं नज़रों से पैहम गुदगुदाती हैं
सुहागन है तो उस की माँग में झूमर चमकता है
कुँवारी है तो उस के जिस्म से ख़ुशबू निकलती है
गुलाबी मध-भरी आँखों से इक मस्ती उबलती है
वो मस्ती जो दिलों के साग़र-ए-रंगीं में ढलती है
कहीं जोड़े में कोई फूल गूँधे कोई लट खोले
फ़ज़ा-ए-साहिल-ए-हुगली में रंग-ओ-नूर भरती है
भरे मजमे' में अपने हुस्न का एलान करती है
तमाशा देखने वालों की रूहों में उतरती है
सुनहरी बालियाँ शोख़ी से रुख़्सारों को तकती हैं
खनकती चूड़ियाँ गीतों की मीठी धुन सुनाती हैं
जबीं पर नन्ही नन्ही कहकशाएँ जगमगाती हैं
हिनाई उँगलियाँ लहरा के साजन को बुलाती हैं
ये बंगाली हसीनाओं की जल्वा-गाह है हमदम
यहाँ पीर-ओ-जवाँ आ कर मता-ए-दिल लुटाते हैं
जुनूँ-अंगेज़ लै में नर्म-ओ-शीरीं गीत गाते हैं
निगाहों में निगाहें डालते हैं मुस्कुराते हैं
ठहर ऐ जज़्बा-ए-बे-ताब इसी रंगीन दुनिया में
लबों की सुर्ख़ मय से दिल के ख़ाली जाम को भर लें
शमीम-ए-ज़ुल्फ़ से बे-रब्त साँसें अम्बरीं कर लें
जवानी के बहार-आगीं गुलिस्ताँ में क़दम धर लें
(737) Peoples Rate This