Ghazals of Owais Ahmad Dauran
नाम | ओवेस अहमद दौराँ |
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अंग्रेज़ी नाम | Owais Ahmad Dauran |
जन्म की तारीख | 1938 |
तुम्ही सरदार हो गुलशन के ये बतला देना
तुम आ गए हो जब से खटकने लगी है शाम
तारीकी में दीप जलाए इंसाँ कितना प्यारा है
रौनक़-ए-कूचा-ओ-बाज़ार हैं तेरी आँखें
पहले घिरे थे बे-ख़बरों के हुजूम में
मिरे ना-रसा तसव्वुर ने सुराग़ पा लिया है
ख़ज़ाने भी मिलें इस के एवज़ तो हम न बेचेंगे
इस दौर ने बख़्शे हैं दुनिया को अजब तोहफ़े
इन झिलमिलाते चाँद सितारों की छाँव में
हर साँस को महकाइए अब देर न कीजे
ग़मगीं हैं दिल-फ़िगार हैं मेरे यहाँ के लोग
चुप रहोगे तो ज़माना इस से बद-तर आएगा
ऐ हम-नफ़सो! शब है गिराँ जागते रहना