Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_af3a026780210f6677e8861c1cfc0cc6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब रौशनी चमकी तो उठाया सर-ए-साहिल - ओसामा अमीर कविता - Darsaal

जब रौशनी चमकी तो उठाया सर-ए-साहिल

जब रौशनी चमकी तो उठाया सर-ए-साहिल

मिट्टी के प्याले में था सोना सर-ए-साहिल

पानी पे मकाँ जैसे मकीं और कहीं ग़म

कुछ ऐसे नज़र आई थी दुनिया सर-ए-साहिल

जब तय हो मुलाक़ात उस आशुफ़्ता-सरी से

तुम और ही कुछ रंग पहनना सर-ए-साहिल

कश्ती में नज़र आई थी जन्नत की तजल्ली

पतवार उठाते ही मैं भागा सर साहिल

अब क़ौम उतारे कोई सीने पे हमारे

पहले तो उतारा था सहीफ़ा सर-ए-साहिल

मैं हाथ बढ़ाता तो भला कैसे बढ़ाता

तस्वीर में थे साग़र-ओ-मीना सर-ए-साहिल

हम लोग कराची के अजब लोग हैं साहब

खाना है समुंदर में तो पीना सर-ए-साहिल

(706) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Raushni Chamki To UThaya Sar-e-sahil In Hindi By Famous Poet Osaama Ameer. Jab Raushni Chamki To UThaya Sar-e-sahil is written by Osaama Ameer. Complete Poem Jab Raushni Chamki To UThaya Sar-e-sahil in Hindi by Osaama Ameer. Download free Jab Raushni Chamki To UThaya Sar-e-sahil Poem for Youth in PDF. Jab Raushni Chamki To UThaya Sar-e-sahil is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Raushni Chamki To UThaya Sar-e-sahil with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.