जब कभी तेरी याद आई है
जब कभी तेरी याद आई है
हर कली दिल की मुस्कुराई है
दिल ने बस तेरी आरज़ू के तुफ़ैल
हर ख़ुशी ज़िंदगी की पाई है
सू-ए-तूफ़ाँ धकेल दी हम ने
नाव साहिल पे जब भी आई है
सिर्फ़ तुम हो मिरे ज़माने में
वर्ना हर शय यहाँ पराई है
खो के ख़ुद को तिरी मोहब्बत में
बे-ख़ुदी बे-पनाह पाई है
जादा-ए-मंज़िल-ए-मोहब्बत में
दिल ने सौ बार चोट खाई है
फूल कलियों का ज़िक्र कर के 'बजाज'
दास्ताँ तेरी ही सुनाई है
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