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जब भी जान-ए-बहार मिलता है - ओम प्रकाश बजाज कविता - Darsaal

जब भी जान-ए-बहार मिलता है

जब भी जान-ए-बहार मिलता है

दिल को सब्र-ओ-क़रार मिलता है

बात दिल की जो हो तो क्यूँ कर हो

वो सर-ए-रहगुज़ार मिलता है

याद कुछ क़ाफ़िलों की आती है

जब भी उड़ता ग़ुबार मिलता है

नज़्म-ए-गुलशन में कुछ तो है ख़ामी

हर कोई सोगवार मिलता है

बादा-ए-तल्ख़ में कहाँ हमदम

जो नज़र में ख़ुमार मिलता है

रहरवों के ख़ुलूस से अक्सर

मंज़िलों को वक़ार मिलता है

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In Hindi By Famous Poet Om Parkash Bajaj. is written by Om Parkash Bajaj. Complete Poem in Hindi by Om Parkash Bajaj. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.