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ख़ुशबू तिरे लहजे की मिरे फ़न में बसी है - ओबैदुर् रहमान कविता - Darsaal

ख़ुशबू तिरे लहजे की मिरे फ़न में बसी है

ख़ुशबू तिरे लहजे की मिरे फ़न में बसी है

अशआ'र हैं मेरे तिरी आवाज़ के साए

दादी की कहानी को तरसते हैं ये बच्चे

आँखों में नहीं दूर तलक नींद के साए

जब जिस्म पर ये जान हो इक क़र्ज़ की सूरत

अल्लाह किसी दुश्मन को भी ये दिन न दिखाए

फिर ताज़ा हवाओं की पहुँच रूह तलक हो

फिर प्यार के मौसम की घटा लौट के आए

ख़त लिक्खूँ तुम्हें याद करूँ ठीक है लेकिन

क्या ठीक मिरे दिल को क़रार आए न आए

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In Hindi By Famous Poet Obaidur Rahman. is written by Obaidur Rahman. Complete Poem in Hindi by Obaidur Rahman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.