उबैदुल्लह सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का उबैदुल्लह सिद्दीक़ी
नाम | उबैदुल्लह सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Obaidullah Siddiqui |
ज़िंदगी इक ख़्वाब है ये ख़्वाब की ताबीर है
ये किस का चेहरा दमकता है मेरी आँखों में
ये आँखें ये दिमाग़ ये ज़ख़्मों का घर बदन
शाम होती है तो मेरा ही फ़साना अक्सर
पहले चिंगारी से इक शोला बनाता है मुझे
इसी फ़लक से उतरता है ये अंधेरा भी
ज़िंदगी इक ख़्वाब है ये ख़्वाब की ताबीर है
पहले चिंगारी से इक शोला बनाता है मुझे
इस शहर-ए-तिश्नगी में कहीं आब के सिवा
हवा-ए-शाम न जाने कहाँ से आती है