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मर्सिया - उबैदुल्लाह अलीम कविता - Darsaal

मर्सिया

उदास यादों की मुज़्महिल रात बीत भी जा

कि मेरी आँखों में अब लहू है न ख़्वाब कोई

मैं सब दिए ताक़-ए-आरज़ू के बुझा चुका हूँ

तू ही बता अब

कि मर्ग-ए-महताब ओ ख़ून-ए-अंजुम पे नज़्र क्या दूँ

न मेरा माज़ी न मेरा फ़र्दा

बिखर गई थी जो ज़ुल्फ़ कब की सँवर चुकी है

और आने वाली सहर भी आ कर गुज़र चुकी है

उदास यादों की मुज़्महिल रात बीत भी जा!

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In Hindi By Famous Poet Obaidullah Aleem. is written by Obaidullah Aleem. Complete Poem in Hindi by Obaidullah Aleem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.