Ghazals of Obaidullah Aleem
नाम | उबैदुल्लाह अलीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Obaidullah Aleem |
जन्म की तारीख | 1939 |
मौत की तिथि | 1998 |
जन्म स्थान | Pakistan |
ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिए
ये और बात कि इस अहद की नज़र में हूँ
वो रात बे-पनाह थी और मैं ग़रीब था
वो ख़्वाब ख़्वाब फ़ज़ा-ए-तरब नहीं आई
वहशतें कैसी हैं ख़्वाबों से उलझता क्या है
वहशत उसी से फिर भी वही यार देखना
वीरान सराए का दिया है
तू अपनी आवाज़ में गुम है मैं अपनी आवाज़ में चुप
तेरे प्यार में रुस्वा हो कर जाएँ कहाँ दीवाने लोग
सुख़न में सहल नहीं जाँ निकाल कर रखना
शिकस्त-ए-जाँ से सिवा भी है कार-ए-फ़न क्या क्या
शिकस्ता-हाल सा बे-आसरा सा लगता है
साहिब-ए-मेहर-ओ-वफ़ा अर्ज़-ओ-समा क्यूँ चुप है
पा-ब-ज़ंजीर सही ज़मज़मा-ख़्वाँ हैं हम लोग
नींद आँखों से उड़ी फूल से ख़ुश्बू की तरह
निगार-ए-सुब्ह की उम्मीद में पिघलते हुए
मिट्टी था मैं ख़मीर तिरे नाज़ से उठा
मिरे ख़ुदा मुझे वो ताब-ए-नय-नवाई दे
मैं ये किस के नाम लिक्खूँ जो अलम गुज़र रहे हैं
मैं कैसे जियूँ गर ये दुनिया हर आन नई तस्वीर न हो
मैं जिस में खो गया हूँ मिरा ख़्वाब ही तो है
कुछ तो बताओ शाइर-ए-बेदार क्या हुआ
कुछ इश्क़ था कुछ मजबूरी थी सो मैं ने जीवन वार दिया
कुछ दिन तो बसो मिरी आँखों में
कूचा-ए-इश्क़ से कुछ ख़्वाब उठा कर ले आए
कोई धुन हो मैं तिरे गीत ही गाए जाऊँ
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ
ख़याल-ओ-ख़्वाब हुई हैं मोहब्बतें कैसी
कमाल-ए-आदमी की इंतिहा है
जो उस ने किया उसे सिला दे