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ज़मीन बार-हा बदली ज़माँ नहीं बदला - उबैद सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

ज़मीन बार-हा बदली ज़माँ नहीं बदला

ज़मीन बार-हा बदली ज़माँ नहीं बदला

इसी लिए तो ये मेरा जहाँ नहीं बदला

न आरज़ू कोई बदली न मेरी महरूमी

बदल गया है रवैया समाँ नहीं बदला

उदासी आज भी वैसी है जैसे पहले थी

मकीं बदलते रहे हैं मकाँ नहीं बदला

कभी चराग़ कभी दिल जला के देख लिया

ज़रा सा रंग तो बदला धुआँ नहीं बदला

परिंदे अब भी चहकते हैं गुल महकते हैं

सुना है कुछ भी अभी तक वहाँ नहीं बदला

दिलों का दर्द किसी तौर कम नहीं होगा

अगर तसव्वुर-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ नहीं बदला

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In Hindi By Famous Poet Obaid Siddiqi. is written by Obaid Siddiqi. Complete Poem in Hindi by Obaid Siddiqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.