कोई कुछ बताएगा क्या हो गया
कोई कुछ बताएगा क्या हो गया
यहाँ कैसे हर बुत ख़ुदा हो गया
तज़ब्ज़ुब का आलम रहा देर तक
बिल-आख़िर मैं उस से जुदा हो गया
उसे क्या मुझे भी नहीं थी ख़बर
कि मैं क़ैद से कब रिहा हो गया
ज़मीं प्यास से इतनी बेहाल थी
समुंदर ने देखा घटा हो गया
ये दुनिया अधूरी सी लगने लगी
अचानक मुझे जाने क्या हो गया
शराब हम ने यकसाँ ही पी थी मगर
तुझे इस क़दर क्यूँ नशा हो गया
(402) Peoples Rate This