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अगर इस शहर की आब ओ हवा तब्दील हो जाए - उबैद सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

अगर इस शहर की आब ओ हवा तब्दील हो जाए

अगर इस शहर की आब ओ हवा तब्दील हो जाए

तो फिर सब कुछ ब-जुज़ नाम-ए-ख़ुदा तब्दील हो जाए

मिरे होने ने दुनिया में सभी कुछ तो बदल डाला

मुझे तू ही बता अब और क्या तब्दील हो जाए

मुझे इस की ख़बर तक भी न होने पाए और इक दिन

सफ़र के दरमियाँ यूँ रास्ता तब्दील हो जाए

अजब ख़्वाहिश है सर से आसमाँ का साया उठ जाए

ज़मीं आब-ए-रवाँ में ज़ेर-ए-पा तब्दील हो जाए

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से आँखें अगर आज़ाद हो जाएँ

तो ज़िंदा रहने का सारा मज़ा तब्दील हो जाए

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In Hindi By Famous Poet Obaid Siddiqi. is written by Obaid Siddiqi. Complete Poem in Hindi by Obaid Siddiqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.