तह-ब-तह खुलती ही रहती है सदा
'मीर' के दीवान सी है ज़िंदगी
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(425) Peoples Rate This
हम किताबों में जिसे पाते हैं 'हारिस'
हर तरफ़ नाला-ओ-फ़रियाद के मंज़र देखें
खोलो न कोई ऐब किसी का भी यहाँ पर
अजब अश्कों की बारिश हो गई है
सदाएँ डूबती हैं जब
मशीनें काम अपना कर रही हैं
उभरती डूबती साँसों का सिलसिला क्यूँ है
इन्हें आगे निकल जाने दो 'हारिस'
वक़्त बदला सोच बदली बात बदली
अपना सच उस को सुनाने के लिए
दिलों के ज़ख़्म भरते क्यूँ नहीं हैं