Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5203ce44bd84eb059c475449d4fe7c27, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हमारी ज़ात में बस्ते सभी हैं - उबैद हारिस कविता - Darsaal

हमारी ज़ात में बस्ते सभी हैं

हमारी ज़ात में बस्ते सभी हैं

हम अच्छे हैं तो फिर अच्छे सभी हैं

यक़ीं कैसे करें वादे पे तेरे

यही व'अदा है जो करते सभी हैं

दिखाई क्यूँ नहीं देता किसी को

ख़ुदा की खोज में निकले सभी हैं

मिरे अंदर फ़क़त क़तरा नहीं है

समुंदर झील और झरने सभी हैं

ज़मीं पर आएगा वो आसमाँ से

नज़ारा देखने ठहरे सभी हैं

चली थी इक हवा कुछ देर पहले

उसी के ख़ौफ़ से सहमे सभी हैं

सबक़ लेते नहीं हम क्यूँ किसी से

हमारे सामने क़िस्से सभी हैं

(377) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Obaid Haris. is written by Obaid Haris. Complete Poem in Hindi by Obaid Haris. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.