बलवाइयों का जिस पे यहाँ कुछ असर न था
बलवाइयों का जिस पे यहाँ कुछ असर न था
वो घर अमीर-ए-शहर का था मेरा घर न था
तहज़ीब-ओ-इल्म-ओ-फ़न की तरक़्क़ी की राह में
मेरे अलावा और कोई राहबर न था
मैं भी कहीं कहीं रहा रानाइयों से दूर
तू भी कहीं कहीं पे शरीक-ए-सफ़र न था
ताज़ा ख़बर में हम ने पढ़ा है ये दोस्तो
बारिश थी पत्थरों की मगर ज़ख़्म-ए-सर न था
समझा था रहनुमाई करेगा मिरी मगर
सूरज भी तीरगी में शरीक-ए-सफ़र न था
'नुसरत' न जाने क्यूँ उसे आया न कुछ ख़याल
हालाँकि मेरे हाल से वो बे-ख़बर न था
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