Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_21ec8a7cdf97361c8d0be46be5107927, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हवस किसी को हो देखने की जो मौज-ए-बे-इंतिहा-ए-दरिया - नुसरत लखनवी कविता - Darsaal

हवस किसी को हो देखने की जो मौज-ए-बे-इंतिहा-ए-दरिया

हवस किसी को हो देखने की जो मौज-ए-बे-इंतिहा-ए-दरिया

तो आ के चश्मों को देखे मेरी कि याँ से है इब्तिदा-ए-दरिया

हबाब उन को न समझो यारो ये उठते पानी में हैं जो हर-दम

बदन खुला जो किसी का देखा खुले हैं ये दीदा-हाए-दरिया

दुरून-ए-गिर्दाब अब जो जा कर फँसी है कश्ती हमारी यारब

सरिश्क-ए-यास अब भी है जो आँखों से क्या कहें माजरा-ए-दरिया

सरिश्क-ए-चश्म और आह-ए-सोज़ाँ ने मेरे ऐ वाए एक पल में

बहुत से जंगल किए हैं सरसब्ज़ और कितने सुखाए दरिया

उठाएगा जब तलक न 'नुसरत' तू वर्ता-ए-इ'श्क़ की मशक़्क़त

तो हाथ आवेगा क्यूँकि तेरे वो गौहर-ए-बे-बहा-ए-दरिया

(354) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nusrat Lakhnavi. is written by Nusrat Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Nusrat Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.