मेरी आँखों में हैं आँसू तेरे दामन में बहार
गुल बना सकता है तू शबनम बना सकता हूँ मैं
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(437) Peoples Rate This
हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए
मेरे लिए क्या है कुछ भी नहीं
मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
हम ने भी निगाहों से उन्हें छू ही लिया है
दिल-ओ-दिलबर सही अब ख़्वाब से बेदार हैं दोनों
पंखुड़ी कोई गुलिस्ताँ से सबा क्या लाई
ज़ाहिद असीर-ए-गेसू-ए-जानाँ न हो सका
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
एक रिश्ता भी मोहब्बत का अगर टूट गया
वक़्त का क़ाफ़िला आता है गुज़र जाता है
दौलत का फ़लक तोड़ के आलम की जबीं पर