उस दिल की मुसीबत कौन सुने जो ग़म के मुक़ाबिल आ जाए

उस दिल की मुसीबत कौन सुने जो ग़म के मुक़ाबिल आ जाए

किस ने ये कहा था तिनके से वो बिजली से टकरा जाए

दुनिया की बहारों से आँखें यूँ फेर लीं जाने वालों ने

जैसे कोई लम्बे क़िस्से को पढ़ते पढ़ते उकता जाए

आग़ाज़-ए-मोहब्बत है और दिल यूँ हाथ से निकला जाता है

जैसे किसी अल्हड़ का आँचल सरका जाए ढलका जाए

गुज़रे हुए दिलकश लम्हों की भूली हुई याद ऐसी आई

जैसे कोई पीतम परदेसी सोते में अचानक आ जाए

जब पहले-पहल एहसास हुआ है ग़म का तो दिल ऐसा काँपा

जैसे कि दुल्हन पहली शब की आहट जो मिले थर्रा जाए

कंघे से घनेरी ज़ुल्फ़ों में यूँ लहरें उठती जाती हैं

जैसे कि धुँदलका सावन का बढ़ता जाए बढ़ता जाए

हस्ती का नज़ारा क्या कहिए मरता है कोई जीता है कोई

जैसे कि दिवाली हो कि दिया जलता जाए बुझता जाए

इक आस जो दिल की टूट गई फिर दिल की ख़ुशी बाक़ी न रही

जैसे कि अँधेरे घर का दिया गुल हो तो अंधेरा छा जाए

दिल है कि 'नुशूर' इक बाजा है सीने के अंदर तारों का

जब चोट पड़े झंकार उठे जब ठेस लगे थर्रा जाए

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In Hindi By Famous Poet Nushur Wahidi. is written by Nushur Wahidi. Complete Poem in Hindi by Nushur Wahidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.