मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ
मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ
मंज़िलों की बात है रास्ते में क्या कहूँ
हुस्न-ए-बे-हिजाब पर कोई पर्दा डाल लो
तुम उसे सनम कहो मैं उसे ख़ुदा कहूँ
ऐ हरीस-ए-मय-कदा ख़ून-ए-ज़िंदगी न पी
तू शराब अगर पिए तुझ को पारसा कहूँ
गेसू-ए-सियाह की ये हसीं दराज़ियाँ
रात क्यूँ कहूँ उन्हें रात की दुआ कहूँ
तर्जुमान-ए-राज़ हूँ ये भी काम है मिरा
उस लब-ए-ख़मोश ने मुझ से जो कहा कहूँ
ग़ैर मेरा हाल-ए-ग़म पूछते रहे मगर
दोस्तों की बात है दुश्मनों से क्या कहूँ
इम्तिहान-ए-शौक़ है ऐसी आशिक़ी 'नुशूर'
दिल का कोई हाल हो उन को दिलरुबा कहूँ
(612) Peoples Rate This