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हर ज़र्रा-ए-ख़ाकी को किरन हम ने बनाया - नुशूर वाहिदी कविता - Darsaal

हर ज़र्रा-ए-ख़ाकी को किरन हम ने बनाया

हर ज़र्रा-ए-ख़ाकी को किरन हम ने बनाया

मिट्टी को लहू दे के चमन हम ने बनाया

था हुस्न मगर इक निगह-ए-नीम-रज़ा से

गेसू-ब-कमर लाला-शिकन हम ने बनाया

सद-शुक्र कि है उन का तबस्सुम भी हमीं पर

कलियों में जिन्हें ग़ुंचा-दहन हम ने बनाया

अग़्यार को गुल-पैरहनी हम ने अता की

अपने लिए फूलों का कफ़न हम ने बनाया

हर जज़्बा-ए-आज़ादी-ए-फ़ितरत को हुआ दी

हर बादा-ए-पैमाना-शिकन हम ने बनाया

तारीख़-ए-जुनूँ ये है कि हर दौर-ए-ख़िरद में

इक सिलसिला-ए-दार-ओ-रसन हम ने बनाया

डरते हैं ख़मोशी से हमारी मह-ओ-अंजुम

चुप रह के वो अंदाज़-ए-सुख़न हम ने बनाया

टकराए कभी मौज से साहिल पे कभी हैं

बहते हुए दरिया में वतन हम ने बनाया

मुस्तक़बिल-ए-तहज़ीब का नग़्मा वही ठहरा

जो ज़मज़मा-ए-गंग-ओ-जमन हम ने बनाया

अश्कों से हमारे है मुनव्वर नई दुनिया

शबनम को ज़िया दी तो करन हम ने बनाया

आफ़ाक़ का हर जल्वा 'नुशूर' इस में अयाँ है

मिल-जुल के वो आईना-ए-फ़न हम ने बनाया

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In Hindi By Famous Poet Nushur Wahidi. is written by Nushur Wahidi. Complete Poem in Hindi by Nushur Wahidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.