दुनिया सँवर गई है निज़ाम-ए-दिगर के बा'द
दुनिया सँवर गई है निज़ाम-ए-दिगर के बा'द
मंज़िल पे आ गई है मशिय्यत सफ़र के बा'द
जैसे दिल-ओ-नज़र के हिजाबात उठ गए
आलम ख़बर का है निगह-ए-बे-ख़बर के बा'द
लाले में रंग है ये कहाँ ये लहू तरंग
दुनिया हसीन है मिरे ज़ौक़-ए-नज़र के बा'द
बीती हुई हयात मोहब्बत का तज़्किरा
शाम-ओ-सहर की याद है शाम-ओ-सहर के बा'द
मैं आ गया सुकूत-ओ-तबस्सुम के दरमियाँ
वो मुस्कुरा दिए सुख़न-ए-मुख़्तसर के बा'द
हर रास्ते को लूट लिया ए'तिमाद ने
रहज़न भी एक शय है मगर राहबर के बा'द
तारीकी-ए-हयात में रख़्शाँ है हुस्न-ए-दोस्त
जल्वे कहाँ रहेंगे हुजूम-ए-नज़र के बा'द
हासिल है काएनात का दर्द-ए-दिल-ए-हयात
दुनिया में क्या रहा मिरी आह-ए-सहर के बा'द
मंज़िल पे छिड़ गई है कुदूरत की दास्ताँ
हर कारवाँ ने गर्द उड़ाई सफ़र के बा'द
नक़्श-ए-क़दम की आँख खुली तेरी राह में
रस्ते भी सो गए हैं तिरी रहगुज़र के बा'द
अहल-ए-हुनर को देख रहा हूँ ग़मीं 'नुशूर'
दुनिया हुनर है रास भी आए हुनर के बा'द
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