दिया साक़ी ने अव्वल रोज़ वो पैमाना मस्ती में

दिया साक़ी ने अव्वल रोज़ वो पैमाना मस्ती में

कि मैं ना-आश्ना पी कर हुआ दीवाना मस्ती में

शराब-ए-आतिशीं वो है कि दो इक घूँट पीते ही

जो साक़ी हो तो आता है नज़र पैमाना मस्ती में

नज़र आता है मुझ को बोरिया भी तख़्त-ए-ताऊसी

गदा रखता है गोया शौकत-ए-शाहाना मस्ती में

कोई कहता है मस्जिद है कोई कहता है बाहर जा

इलाही क्या मैं भूला हूँ रह-ए-मय-ख़ाना मस्ती में

नशा था मुझ को और यारों ने चाहा छीन लें बोतल

मगर काम आ गई कुछ जुरअत-ए-रिंदाना मस्ती में

ख़बर क्या थी वाइ'ज़ है यही समझा कि साक़ी है

उठा और उठ के जा लिपटा मैं बेताबाना मस्ती में

मिरी पूजा थी कैफ़-अंगेज़ नज़रों की परस्तारी

मिरा सज्दा था पेश-अबरू-ए-जानाना मस्ती में

क़दम रखता कहीं हूँ और पड़ता है कहीं जा कर

'नुशूर' इस वक़्त हूँ कुछ होश से बेगाना मस्ती में

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In Hindi By Famous Poet Nushur Wahidi. is written by Nushur Wahidi. Complete Poem in Hindi by Nushur Wahidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.