Ghazals of Nushur Wahidi (page 2)
नाम | नुशूर वाहिदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Nushur Wahidi |
जन्म की तारीख | 1912 |
मौत की तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | Balia, Uttar Pradesh |
कभी झूटे सहारे ग़म में रास आया नहीं करते
जाँ-बाज़ों के लब पर भी अब ऐश का नाम आया
हुस्न जितना ही सादा होता है
हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए
हाथ से दुनिया निकलती जाएगी
हसरत-ए-फ़ैसला-ए-दर्द-ए-जिगर बाक़ी है
हर ज़र्रा-ए-ख़ाकी को किरन हम ने बनाया
हक़ीक़त जिस जगह होती है ताबानी बताती है
हमा-गिर्या सिल्क-ए-शबनम हमा-अश्क बज़्म-ए-अंजुम
गुनाहगार तो रहमत को मुँह दिखा न सका
ग़म-ए-ख़ामोश जो बा-अश्क-चकाँ रखता हूँ
फ़िक्र-ए-नौ ज़ौक़-ए-तपाँ से आई है
इक दामन-ए-रंगीं लहराया मस्ती सी फ़ज़ा में छा ही गई
दुनिया सँवर गई है निज़ाम-ए-दिगर के बा'द
दिया साक़ी ने अव्वल रोज़ वो पैमाना मस्ती में
दिल-ओ-दिलबर सही अब ख़्वाब से बेदार हैं दोनों
दिल है कि मोहब्बत में अपना न पराया है
धड़कनें दिल की गिने ख़ूँ में रवानी माँगे
चिलमन से जो दामन के किनारे निकल आए
चमन को ख़ार-ओ-ख़स-ए-आशियाँ से आर न हो
भुलाता हूँ मगर ग़म की दरख़शानी नहीं जाती
भला कब देख सकता हूँ कि ग़म नाकाम हो जाए
अपनी दुनिया ख़ुद ब-फ़ैज़-ए-ग़म बना सकता हूँ मैं
आग़ोश-ए-रंग-ओ-बू के फ़साने में कुछ नहीं