Ghazals of Nushur Wahidi (page 1)
नाम | नुशूर वाहिदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Nushur Wahidi |
जन्म की तारीख | 1912 |
मौत की तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | Balia, Uttar Pradesh |
ज़ीस्त मिलती है उम्र-ए-फ़ानी से
ज़ाहिद असीर-ए-गेसू-ए-जानाँ न हो सका
यूँही ठहर ठहर के मैं रोता चला गया
ये नीम-बाज़ तिरी अँखड़ियों के मयख़ाने
ये नीम-बाज़ तिरी अँखड़ियों के मयख़ाने
ये नज़्म-ए-गुरेज़ाँ है बरहम-ज़दनी पहले
याद आती रही भुला न सके
वक़्त का क़ाफ़िला आता है गुज़र जाता है
उस दिल की मुसीबत कौन सुने जो ग़म के मुक़ाबिल आ जाए
तेज़-तर लहजा-ए-गुफ़्तार किया है हम ने
तजल्लियों से ग़म-ए-ए'तिबार ले के उठा
तग़य्युरात के आलम में ज़िंदगानी है
शौक़ था शबाब का हुस्न पर नज़र गई
सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं
रंग यहाँ बहुत मगर रंग से काम भी नहीं
क़ामत-ए-दिल-रुबा पर शबाब आ गया
पंखुड़ी कोई गुलिस्ताँ से सबा क्या लाई
पैराहन-ए-रंगीं से शोला सा निकलता है
नज़र नज़र को साक़ी-ए-हयात कहते आए हैं
नई दुनिया मुजस्सम दिलकशी मालूम होती है
नफ़स नफ़स पे मुझे याद आए जाते हैं
मिरा दिल न था अलम-आश्ना कि तिरी अदा पे नज़र पड़ी
मलाहत जवानी तबस्सुम इशारा
मैं ने कभी नज़र न की दिल-कशी-ए-हयात पर
मैं शाद हूँ तो ज़माने में शादमानी है
मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ
मय-ख़ाने में बढ़ती गई तफ़रीक़-ए-निहाँ और
लम्हे उलझन के क़रीब आ पहुँचे
कितना अजीब-तर है ये रब्त-ए-ज़िंदगानी
कभी सुनते हैं अक़्ल-ओ-होश की और कम भी पीते हैं