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अक्स हर तरह के ख़ुश हो के हमें पीने हैं - नुद्रत नवाज़ कविता - Darsaal

अक्स हर तरह के ख़ुश हो के हमें पीने हैं

अक्स हर तरह के ख़ुश हो के हमें पीने हैं

हम भी दीवारों पे लटके हुए आईने हैं

तैरती काई के टुकड़े ये सदा देते थे

चाक नदियों के गरेबान हमें सीने हैं

खा गई उन को भी आख़िर मिरे माहौल की धूप

जलती शाख़ों से भी कुछ साए अगर छीने हैं

सीढ़ियाँ दिल के तक़ाज़ों की चढ़ोगे कब तक

जिन का आख़ीर नहीं है ये वही ज़ीने हैं

क्या ख़बर थी कि उजाले नहीं देंगे 'नुदरत'

वो सितारे जो अँधेरों के लिए छीने हैं

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In Hindi By Famous Poet Nudrat Nawaz. is written by Nudrat Nawaz. Complete Poem in Hindi by Nudrat Nawaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.