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हवा को आवारा कहने वालो - नोशी गिलानी कविता - Darsaal

हवा को आवारा कहने वालो

हवा को आवारा कहने वालो

कभी तो सोचो, कभी तो लिक्खो

हवाएँ क्यूँ अपनी मंज़िलों से भटक गई हैं

न उन की आँखों में ख़्वाब कोई

न ख़्वाब में इंतिज़ार कोई

अब उन के सारे सफ़र में सुब्ह-ए-यक़ीन कोई

न शाम-ए-सद-ए'तिबार कोई

न उन की अपनी ज़मीन कोई न आसमाँ पर कोई सितारा

न कोई मौसम न कोई ख़ुश्बू का इस्तिआरा

न रौशनी की लकीर कोई, न उन का अपना सफ़ीर कोई

जो उन के दुख पर किताब लिक्खे

मुसाफ़िरत का अज़ाब लिखे

हवा को आवारा कहने वालो

कभी तो सोचो!

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In Hindi By Famous Poet Noshi Gilani. is written by Noshi Gilani. Complete Poem in Hindi by Noshi Gilani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.