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वो बात बात में इतना बदलता जाता है - नोशी गिलानी कविता - Darsaal

वो बात बात में इतना बदलता जाता है

वो बात बात में इतना बदलता जाता है

कि जिस तरह कोई लहजा बदलता जाता है

ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें

मगर वो शख़्स तो रस्ता बदलता जाता है

रुतें विसाल की अब ख़्वाब होने वाली हैं

कि उस की बात का लहजा बदलता जाता है

रहा जो धूप में सर पर मिरे वही आँचल

हवा चली है तो कितना बदलता जाता है

वो बात कर जिसे दुनिया भी मो'तबर समझे

तुझे ख़बर है ज़माना बदलता जाता है

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In Hindi By Famous Poet Noshi Gilani. is written by Noshi Gilani. Complete Poem in Hindi by Noshi Gilani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.